अभनपुर, छत्तीसगढ़
आत्म कथ्य :- मै गांव का रहने वाला हूँ, कला संकाय की पढाई कॉलेज तक की, पुनः पारिवारिक दायित्यों का निर्वहन करने के लिए गांव वापस आया. मै सरल सहज लेकिन अपने हक की लडाई लड़ने वाला व्यक्ति हूँ. हमारे भारत मै आज़ादी के ६३ बरसों के बाद भी परम्परागत रूप से कम करने वाले कारीगर वर्ग लोहर+बढाई+ताम्रकार-कसेर+सोनार+पत्थर पे कम करनेवाले-शिल्पी=पञ्चशिल्पी वर्ग की हालत दयनीय है. इनकी सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं है, इस वर्ग से इस देश की दिल्ली की बड़ी पंचायत मै कोई भी नहीं है जो इस वर्ग की आवाज उठाये. आज संख्या बल का जमाना है.जिसकी जितनी जयादा संख्या उस वर्ग को उतनी ज्यादा सुविधाएँ. मेने ये मुद्दा उठाया है. ओद्योगिकर्ण के कारन इस वर्ग का बड़ा नुकसान हुआ है. आज कुशल कारीगर वर्ग को पुनर्वास की जरुरत है.मेरा लक्ष्य यही है.भारत के १४ करोड़ पञ्चशिल्पी वर्ग के एकीकरण का प्रयास चालू है.
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